- काश्तकारों के बिखरे हुये खेतों को एकजाई करना।
- प्रत्येक चक के लिये चकमार्ग, सिंचाई की नाली
- ग्राम में सम्पर्क मार्ग का प्रबन्ध।
- कमजोर वर्ग के लिये आबादी का प्रबन्ध।
- सुनियोजित विकास हेतु भूमि की व्यवस्था।
- भूमि सम्बन्धी विवादों का स्थल पर निस्तारण।
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि।
प्रथम चक्र में लिये गये ग्रामों की संख्या (01-04-2007)
कुल राजस्व ग्रामों की संख्या |
प्रथम चक्र में लिये गये ग्रामों की संख्या |
प्रथम चक्र में पूर्ण किये गये चकबन्दीकृत ग्रामों की संख्या |
अवशेष |
107327 |
100453 |
98461 |
1992 |
अभी तक चकबन्दी प्रक्रिया में नहीं लिये गये ग्रामों की संख्या-6874
द्वतीय चक्र में लिये गये ग्रामों की संख्या (01-04-2007)
द्वितीय चक्र में लिये गये ग्रामों की संख्या |
द्वितीय चक्र में पूर्ण किये गये चकबन्दीकृत ग्रामों की संख्या |
अवशेष |
24152 |
20038 |
4114 |
चकबन्दी योजना की शक्ति
- चकबन्दी के उद्देश्य ही इसकी शक्ति हैं।
- चकबन्दी प्रक्रिया का अपने आप में पारदर्शी एवं जन सहभागिता पूर्ण एवं कल्याणकारी होना।
- चकबन्दी प्रक्रिया समयबद्ध, कल्याण उन्मुख, भूमि सुधार योजना है।
- चकबन्दी आयुक्त को समस्त प्रकार के अधिकार प्राप्त होना/कार्य संचालन में सुविधा।
- ग्रामसभा की भूमि का संरक्षण।
- ग्राम के भावी सर्वांगीण विकास हेतु सार्वजनिक उपयोग की भूमि यथा-आबादी, स्कूल, चिकित्सालय, खेल का मैदान, खाद के गढ्ढे, पंचायत घर आदि का आरक्षण।
- कमजोर वर्ग के लिये आवास हेतु भूमि की व्यवस्था कर ग्रामीण सामाजिक स्तर में सुधार।
- प्रत्येक किसान को उसकी बिखरी जोतों के स्थान पर एकजाई जोत प्रदान करना।
- प्रत्येक खेत को सिंचाई की सुविधा, चकमार्ग प्रदान करके हरित क्रान्ति में योगदान।
- प्रत्येक ग्राम में आवागमन हेतु सम्पर्क मार्ग उपलब्ध कराकर विकास की ओर अग्रसर करना।
- कृषकों के आपसी मेंड़ों के विवाद को सुलझाना।
- दीवानी/राजस्व न्यायालयों का हस्तक्षेप न होने से कार्य संचालन में सुविधा।