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राज्य सरकार जोत चकबन्दी अधिनियम की धारा 4(1)/4(2) के अन्तर्गत ग्रामों में चकबन्दी कराने हेतु विज्ञप्ति जारी करती है। पुनः चकबन्दी आयुक्त धारा 4क(1)/4क(2) के अन्तर्गत चकबन्दी प्रक्रिया प्रारम्भ करने हेतु अधिसूचना जारी करते है। इस अधिसूचना के प्रभाव स्वरूप् राजस्व न्यायालय में चलने वाले समस्त वाद उपशमित (अवेट) हो जाते है और बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी खातेदार कृषि कार्य से इतर कार्य हेतु अपनी जोत का उपयोग नहीं कर सकता है।
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धारा 4(2)/4क(2) के प्रकाशन के उपरान्त ग्राम में चकबन्दी समिति का गठन भूमि प्रबन्धन समिति के सदस्यों में से किया जाता है। यह समिति चकबन्दी प्रक्रिया के प्रत्येक स्तर पर चकबन्दी प्राधिकारियों को सहयोग एवं परामर्श प्रदान करती है।
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तदोपरान्त चकबन्दी लेखपाल ग्राम में जाकर अधिनियम की धारा-7 के तहत भूचित्र संशोधन, स्थल के अनुसार करता है एवं चकबन्दीकर्ता धारा-8 के अन्तर्गत पड़ताल कार्य करता है, जिसमें गाटों की भौतिक स्थिति, पेड़, कुओं, सिंचाई के साधन व अन्य समुन्नतियों का अंकन आकार-पत्र 2(क) में करता है। खतौनी में पाई जाने वाली अशुद्धियों का अंकन आकार पत्र-4 में करता है।
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पड़ताल के उपरान्त सहायक चकबन्दी अधिकारी द्वारा चकबन्दी समिति के परामर्श से विनिमय अनुपात का निर्धारण गाटों की भौगोलिक स्थिति, उत्पादन, समुन्नतियों आदि के आधार पर किया जाता है। अधिनियम की धारा 8क के अन्तर्गत सिद्धान्तों का विवरण पत्र तैयार किया जाता है, जिसमें कटौती का प्रतिशत, सार्वजनिक उपयोग की भूमि का आरक्षण तथा चकबन्दी प्रक्रिया के दौरान अपनाये जाने वाले सिद्धान्तों का उल्लेख किया जाता है।
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इस प्रारम्भिक स्तर पर की गई समस्त कार्यवाहियों से खातेदारों को अवगत कराने के लिये अधिनियम की धारा 9 के अन्तर्गत आकार-पत्र-5 का वितरण किया जाता है। जिससे खातेदार अपने खाते की स्थिति तथा गाटो के क्षेत्रफल की अशुद्धियां जान जाता है
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आकार पत्र-5 में दिये गये विवरणों तथा खातेदारों से प्राप्त आपत्तियों के आधार पर सहायक चकबन्दी अधिकारी/चकबन्दी अधिकारी द्वारा अभिलेखों को शुद्ध करते हुए आदेश पारित किये जाते हैं। इन आदेशों से क्षुब्ध व्यक्ति बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी के यहाॅ अपील कर सकते है। धारा-9 के अन्तर्गत वादों के निस्तारण के बाद धारा-10 के अन्तर्गत पुनरीक्षित खतौनी बनाई जाती है, जिसमें खातेदारी की जोतों सम्बन्धी, त्रुटियों को शुद्ध रूप में दर्शाया जाता है।
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सहायक चकबन्दी अधिकारी द्वारा चकबन्दी समिति के परामर्श से प्रस्तावित चकबन्दी योजना बनाई जाती है और धारा-20 के अन्तर्गत आकारपत्र 23 भाग-1 वितरण किया जाता है, जिसमें खातेदारों की जोतों के विभाजन सहित प्रस्तावित जोत का अंकन रहता है। इससे असहमत व्यक्ति क्रमशः चकबन्दी अधिकारी के यहाँ आपत्ति एवं बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी के यहाॅ अपील कर अनुतोष प्राप्त कर सकता है।
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बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी द्वारा प्रस्तावित चकबन्दी योजना को धारा-23 के अन्तर्गत पुष्टिकृत किया जाता है, जिसके बाद नई जोतों पर खातेदारों को कब्जा दिलाया जाता है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया से असहमत कोई खातेदार धारा-48 के अन्तर्गत उप संचालक चकबन्दी के न्यायालय में निगरानी दायर कर अनुतोष प्राप्त कर सकता है।
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अधिनियम की धारा-27 के अन्तर्गत अन्तिम अभिलेख (बन्दोबस्त) तैयार किया जाता है, जिसमें आकार पत्र 41 व 45 बनाया जाता है तथा नये नक्शे का निर्माण किया जाता है, जिसमें पुराने गाटों के स्थान पर नये गाटे बना दिये जाते है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया की प्रत्येक स्तर पर गहन जाॅच की जाती है।
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इस प्रकार चकबंदी एक चरणबद्ध गतिविधि है।
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गावों में चकबंदी की प्रक्रिया पूर्ण करने हेतु पांच वर्ष की अधिकतम समय अवधि निर्धारित है।