संहत जोत :
चकबन्दी प्रक्रिया के दौरान कृषकों की जगह-जगह बिखरी हुई जोतों को एक स्थान पर संहत कर दिया जाता हैा इससे चकों की संख्या में कमी हुई है, जिससे कृषि कार्य सुगम हुआ है।
कृषि उत्पादन में वृद्धि :
कृषक जोतों के एक स्थान पर संहत हो जाने से अपने सीमित संसाधनों को प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाने में समर्थ हो पाते हैं, जिससे कृषि कार्य में सुविधा के साथ-साथ कृषि उत्पादन में भी वृद्धि हुई है।
भू-वादों में कमी :
कृषकों के खातों एवं गाटों के सम्बंध में उपजे विवादों का ग्राम में सार्वजनिक स्थान पर अदालतें लगाकर निस्तारण करने से भू-वादों में कमी आयी है।
कृषि यांत्रिकीकरण में वृद्धि :
चकबन्दी प्रक्रिया के दौरान सिंचाई के लिये प्रत्येक चक को नाली एवं आवागमन की सुविधा के लिये चकमार्ग की सुविधा प्राप्त होती है, जिससे कृषकों को फसलोत्पादन में सुविधा हुई है।
सार्वजनिक उपयोग यथा आबादी, स्कूल, अस्पताल आदि हेतु भूमि की उपलब्ध्ता :
चकबन्दी प्रक्रिया के दौरान भूमिहीन, निर्बल व दलित वर्ग को आबादी प्रदान करने के साथ अन्य सार्वजनिक प्रयोजन जैसे पंचायत घर, खेल का मैदान, खाद के गड्ढे, स्कूल, अस्पताल आदि के लिये यथा आवश्यक भूमि आरक्षित की जाती है।
पर्यावरण पर प्रभाव :
चकबन्दी के दौरान वृक्षारोपण हेतु भी भूमि आरक्षित की जाती है। वृक्षारोपण संतुलन में सहायक हुआ है।
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